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15 जून के बाद मुखिया जी का पावर खत्म,बिहार में पंचायती राज कानून बदलने को मंजूरी-2.5 लाख वार्ड सदस्य-सरपंच-मुखिया का काम परामर्शी समिति को देने का रास्ता साफ; 16 जून से लागू होगी व्यवस्था

अब पंचायती राज का काम जिलों DM नीचे के अपने पदाधिकारियों में बांटेंगे। वार्ड, ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के तहत होने वाले काम BDO करेंगे। वहीं जिला परिषद के माध्यम से होने वाले काम को DDC कराएंगे। उन्हीं के पास सारे अधिकार होंगे।

TEAM IBN-बिहार कैबिनेट की आज एक महत्वपूर्ण बैठक हुई है, इसमें पंचायती राज कानून में संशोधन के साथ ही 17 अन्य एजेंडों पर मुहर लगाई गई है। सबसे मुख्य एजेंडा पंचायती राज कानून में बदलाव के प्रस्ताव का है। 15 जून के बाद मुखिया जी का पावर खत्म, अब इसपर कैबिनेट की भी मुहर लग गई है। अब इसे राज्यपाल के पास उनके हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। इस संशोधन के बाद अब त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों (वार्ड सदस्य, सरपंच, मुखिया) का काम परामर्शी समिति को सौंप दिया जाएगा। बिहार के करीब 2.5 लाख पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को समाप्त हो रहा है।

परामर्शी समिति का क्या मतलब है
बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कोरोना के कारण समय पर नहीं हो सके और अब बरसात के कारण 3 महीने तक यह संभव नहीं दिख रहा है। पंचायती राज के करीब ढाई लाख प्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को खत्म होता देख राज्य सरकार ने यह बीच का रास्ता निकाला है। इसके अनुसार अब कार्यकाल खत्म होने के बाद इनके अधिकार और कर्तव्य उप विकास आयुक्त (DDC), प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) और पंचायत सचिव के हाथों में चले जाएंगे।
पंचायत चुनाव टलने पर कार्यकाल बढ़ाने का कानून नहीं है, इसलिए सरकार कैबिनेट के रास्ते राज्यपाल के हस्ताक्षर से अध्यादेश जारी कर अपने स्तर से प्रशासक तय करने की व्यवस्था लागू करेगी। चुनाव के बाद नए पंचायत प्रतिनिधियों की शक्तियां कायम रहें, इसके मद्देनजर अफसरों को नई योजना लाने का अधिकार नहीं सौंपा जाएगा। इसके अलावा चालू योजनाओं को चलाते रहने लायक ही आर्थिक शक्तियां उन्हें सौंपी जाएगी।


पंचायती राज कानून में बदलाव क्यों हुआ और कौन-क्या करेगा
वर्तमान पंचायती राज प्रतिनिधियों का कार्यकाल 2016 से शुरू हुआ था। 15 जून 2021 को इनका कार्यकाल खत्म हो रहा था, इसलिए मार्च से पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू हो गई थी। पहले EVM को लेकर गतिरोध फिर कोरोना ने चुनाव की तैयारियां रोक दीं। अब कोरोना के साथ मानसून की भी समस्या सामने है। जैसे अक्टूबर-नवंबर में विस चुनाव हुआ था, उसी समय तक यह चुनाव खिंच सकता है।
अब सवाल उठता है कि जो काम मुखिया, सरपंच, वार्ड पार्षद देखते थे, वो काम कौन देखेगा? इसको लेकर अभी तक पंचायती राज अधिनियम में प्रावधान नहीं किया गया है कि चुनाव समय पर नहीं होंगे तो त्रिस्तरीय व्यवस्था के तहत होने वाले काम कैसे होंगे, इसलिए अधिनियम में संशोधन किया जाना जरूरी था।
अब पंचायती राज का काम जिलों DM नीचे के अपने पदाधिकारियों में बांटेंगे। वार्ड, ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के तहत होने वाले काम BDO करेंगे। वहीं जिला परिषद के माध्यम से होने वाले काम को DDC कराएंगे। उन्हीं के पास सारे अधिकार होंगे।

बिहार कैबिनेट के अन्य बड़े फैसले

  1. पटना के तारामंडल को मॉडर्न बनाने के लिए 36 करोड़ रुपयों की मंजूरी।
  2. राज्य के जेलों में भी अब ANM की नियुक्ति होगी। इनके पद बनाए जाएंगे।
  3. कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के लिए ‘बाल सहायता योजना’ को मंजूरी।
  4. सुपौल के डगमारा में कोसी नदी पर 130 मेगावाट के हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजना के लिए 700 करोड़ रुपयों की मंजूरी।
  5. पटना के चयनित स्कूलों में मध्यान्ह भोजन आपूर्ति के लिए अक्षय पात्रा फाउंडेशन, बेंगलुरु और इस्कॉन चैरिटेबल ट्रस्ट को मंजूरी।

पूर्व CM मांझी ने कहा- विधायक प्रतिनिधि भी होंगे शामिल
बिहार कैबिनेट के इस फैसले के बाद ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कैबिनेट में यह फैसल करने के लिए CM नीतीश कुमार को बधाई दी है। साथ में कहा है कि पंचायतों में गठित होने वाली परामर्श समिति में वर्तमान पंचायत सदस्यों के साथ विधायक प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इससे गांवों का विकास बाधित नहीं होगा।

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