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ब्याज दरों का चुनावी कनेक्शन:पश्चिम बंगाल चुनावों के कारण वापस लिया छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती का फैसला?

  • नेशनल स्मॉल सेविंग फंड में पश्चिम बंगाल के सबसे ज्यादा 15.1% का योगदान
  • चुनावी प्रक्रिया से गुजर रहे तमिलनाडु और असम की भी महत्वपूर्ण हिस्सेदारी
  • केंद्र की मोदी सरकार ने छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती के फैसले को 24 घंटे के भीतर से वापस ले लिया है। वित्त मंत्रालय ने 31 मार्च को नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) समेत सभी छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज की दरों में कटौती की अधिसूचना जारी की थी। लेकिन 1 अप्रैल की सुबह ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस आदेश को वापस लेने की घोषणा की। वित्त मंत्री ने कहा था कि यह आदेश भूल से जारी हुआ था। लेकिन इसे भूल कहना गलत है। असल बात तो यह है कि ब्याज दरों में कटौती के फैसले को वापस लेने में पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों में चल रहे चुनाव की महत्वपूर्ण भूमिका है। आइए आपको बताते हैं कि ब्याज दरों का चुनावों से क्या कनेक्शन है…

    छोटी बचत योजनाओं में पश्चिम बंगाल का सबसे ज्यादा योगदान

    दरअसल, अधिकांश छोटी बचत योजनाएं सीनियर सिटीजंस और मध्य वर्ग के लिए चलाई जाती हैं। नेशनल सेविंग इंस्टीट्यूट (NSI) पर उपलब्ध डाटा के मुताबिक, नेशनल स्मॉल सेविंग फंड (NSSF) में पश्चिम बंगाल का सबसे ज्यादा योगदान है। वित्त वर्ष 2017-18 में NSSF में पश्चिम बंगाल का ग्रॉस योगदान 15.1% या करीब 90 हजार करोड़ रुपए था। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के वोटरों की नाराजगी से बचने के ब्याज दरों में कटौती के फैसले को एक ही दिन में पलट दिया।

    तमिलनाडु और असम की भी महत्वपूर्ण भूमिका

    इस समय असम और तमिलानाडु भी चुनावी प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। छोटी ब्याज दरों में कटौती के फैसले को वापस लेने में इन दोनों राज्यों की भी अहम भूमिका है। NSI के डाटा के मुताबिक, 2017-18 में NSSF में तमिलनाडु का 4.80% या 28,598 करोड़ रुपए का योगदान था। यह NSSF में योगदान देने वाले देश के टॉप-5 राज्यों में शामिल था। इसके अलावा असम का 9,446 करोड़ रुपए योगदान था।

    लगातार बढ़ रहा है पश्चिम बंगाल का योगदान

    NSSF में पश्चिम बंगाल का योगदान लगातार बढ़ रहा है। 2007-08 में पश्चिम बंगाल का योगदान 12.4% था जो 2009-10 में बढ़कर 14% से अधिक हो गया था। 2017-18 में यह बढ़कर 15.1% पर पहुंच गया। 2017-18 में कुल NSSF में कुल कलेक्शन 5.96 लाख रुपए था जिसमें करीब 90 हजार करोड़ रुपए का योगदान केवल पश्चिम बंगाल से था। इसके बाद उत्तर प्रदेश का योगदान 11.7% या 69,660.70 करोड़ रुपए और महाराष्ट्र का योगदान 10.6% या 63,025.59 करोड़ रुपए था। यानी NSSF में योगदान के मामले में पश्चिम बंगाल ने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र को भी पछाड़ दिया है।

    पैसा जुटाने के लिए आसान तरीका हैं छोटी बचत योजनाएं

    सरकार के लिए छोटी बचत योजनाएं पैसा जुटाने का आसान तरीका हैं। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में सरकार ने छोटी बचत योजनाओं के जरिए 2.4 लाख करोड़ रुपए जुटाए जाने का अनुमान जताया था। लेकिन रिवाइज एस्टीमेट में सरकार ने इसे बढ़ाकर 4.8 लाख करोड़ रुपए जुटाए जाने का अनुमान जताया था। वित्त वर्ष 2020-21 में छोटी बचत योजनाओं के जरिए 3.91 लाख करोड़ रुपए की बोरोइंग रही है। वित्तीय घाटे की भरपाई के लिए सरकार छोटी बचत योजनाओं से ही उधार लेती है।

    1.1% तक की कटौती की गई थी

    वित्त मंत्रालय ने 31 मार्च को अधिसूचना जारी कर 9 छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में 1.1% तक की कटौती की घोषणा की थी। यह कटौती PPF, NSC, सुकन्या समृद्धि योजना जैसी छोटी बचत योजनाओं के लिए लागू की गई थी। यह कटौती 1 अप्रैल से शुरू होने वाली तिमाही यानी तीन महीनों के लिए की गई थी। लेकिन 1 अप्रैल की सुबह ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए ब्याज दरों में कटौती को वापस लेने की घोषणा कर दी थी।

    ये थीं प्रस्तावित ब्याज दरें

    स्कीम प्रस्तावित दर (% में) वर्तमान दर (% में)
    सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम 6.50 7.40
    सुकन्या समृद्धि योजना 6.90 7.60
    PPF 6.40 7.10
    किसान विकास पत्र 6.20 6.90
    नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट 5.90 6.80
    मंथली इनकम स्कीम 5.70 6.60
    टाइम डिपॉजिट 4.40-6.20 5.50-6.70
    रेकरिंग डिपॉजिट 5.30 5.80
    सेविंग अकाउंट 3.50 4.00

    1 अप्रैल 2020 को भी हुई थी ब्याज दरों में कटौती

    केंद्र सरकार ने पिछले साल 1 अप्रैल 2020 को ही छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज में कटौती की थी। तब इनकी ब्याज दरों में 1.40% तक की कटौती की गई थी। इसके बाद 31 मार्च 2021 को भी कटौती का फैसला लिया गया था, जिसे अगले ही दिन वापस ले लिया गया।

    विपक्षी दलों समेत सोशल मीडिया पर हुआ विरोध

    ब्याज दरों में कटौती का विपक्षी दलों समेत सोशल मीडिया यूजर्स ने जमकर विरोध किया। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा,” पेट्रोल-डीज़ल पर तो पहले से ही लूट थी, चुनाव ख़त्म होते ही मध्यवर्ग की बचत पर फिर से ब्याज कम करके लूट की जाएगी।

    जुमलों की झूठ की ये सरकार जनता से लूट की!” कई सोशल मीडिया यूजर्स ने भी ब्याज दरों में कटौती पर नाराजगी जताते हुए विरोध किया।

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