आयुष्मान कार्ड पर कोरोना के इलाज को तैयार नहीं अधिकृत निजी अस्पताल

TEAM IBN-मुजफ्फरपुर में कोविड मरीजों के इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों ने इस कदर लूट मचा रखी है कि सरकार की ओर से जारी आयुष्मान गोल्डन कार्ड को ही रद्दी साबित कर दिया है। हैरानी की बात है कि आयुष्मान भारत योजना से जिले में इम्पैनल्ड (पैनलबद्ध) दर्जन भर अस्पतालों में एक भी कोरोना मरीज का इलाज गोल्डन कार्ड से नहीं हुआ है। हालांकि इम्पैनल्ड 54 अस्पतालों में से करीब एक दर्जन अस्पताल को ही कोविड मरीज के ईलाज की अनुमति मिली हुई है। इन दर्जन भर कोविड अस्पतालों में एक भी गोल्डनकार्डधारी का ईलाज नहीं हुआ है। सच्चाई को जानने के बावजूद इन अस्पतालों में गोल्डन कार्डधारक मरीजों का इलाज सुनिश्चित कराने के लिए कोई प्रशासनिक कदम पिछले साल से अबतक नहीं उठाया गया है।जिले में कुल 520794 परिवारों के पास गोल्डन कार्ड हैं। इनमें से 143422 परिवारों के बीच कुल 291598 लाभार्थियों को कार्ड जारी हुआ है। आश्चर्य की बात है कि आयुष्मान भारत योजना से जुड़े जिले के दर्जन भर अस्पतालों में से आजतक एक भी कोविड मरीज कार्ड से इलाज कराने अस्पताल नहीं पहुंचा है। वैसे सच्चाई तो यह है कि निजी अस्पतालों ने कोरोना मरीजों को कहा है कि गोल्डन कार्ड से कोविड के इलाज का प्रावधान ही नहीं है। इस तरह निजी अस्पताल मनमाना पैसा वसूल कर उनका इलाज कर रहे हैं। जानकारी हो कि भारत सरकार ने गोल्डन कार्ड में जिन बीमारियों से इलाज की व्यवस्था की है, उसमें कोविड को भी शामिल किया गया है।
सरकार से निर्धारित दर पर ही करना होता इलाज : गोल्डन कार्ड से कोविड के इलाज के लिए केंद्र सरकार ने राशि निर्धारित कर दी है। इसके तहत एचडीयू श्रेणी के बेड के लिए 4700, बिना वेंटिलेटर के आईसीयू बेड के लिए 5600, वेंटिलेटर युक्त आईसीयू बेड के लिए 6500 व रूटीन वार्ड में बेड के लिए 3800 रुपये निर्धारित किए गए हैं। अभी स्थिति यह है कि निजी अस्पताल आईसीयू बेड के लिए ही 12 से 15 हजार तक की राशि वसूल रहे हैं। यदि ये गोल्डन कार्ड से इलाज करेंगे तो इन्हें सरकार से निर्धारित दर पर ही इलाज करना होगा। इसलिए इन्होंने गोल्डन कार्ड को ही कागज का टुकड़ा साबित कर दिया है और रोगियों से मनमाना राशि वसूल रहे हैं।
न प्रशासन ने की जांच, न स्वास्थ्य विभाग ने कसी नकेल
अभी आफत की घड़ी में जब गरीब परिवारों के लिए आयुष्मान कार्ड वास्ताव में लाभकारी साबित होता, ऐसे समय में ही निजी अस्पतालों ने इसे कागज का टुकड़ा साबित कर दिया है। हैरानी की बात है कि जिला प्रशासन की ओर से गठित धावा दल ने कई अस्पतालों में छापेमारी तो की है, लेकिन किसी से यह पूछने की जहमत नहीं उठाई कि उन्होंने कितने गोल्डन कार्डधारक मरीजों का इलाज किया है और नहीं तो क्यों नहीं किया है। इधर, स्वास्थ्य विभाग की भी टीम लगातार जांच कर रही है, लेकिन इस मामले को दबा दिया गया है कि गोल्डन कार्डधारक मरीजों का इलाज कोविड अस्पतालों में नहीं हो रहा है।
कोविड के लिए निर्धारित अस्पतालों को क्या दिक्कत आ रही है, इस संबंध में जानकारी ली जाएगी। इसके बाद जरूरत पड़ी तो लोगों को जागरूक करने के लिए अस्पताल में बैनर लगवाये जायेंगे। उनके ईलाज की व्यवस्था करायी जाएगी।
–प्रणव कुमार, डीएम
आयुष्मान भारत के तहत कोविड मरीजों के ईलाज की निर्धारित राशि व स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित राशि में अंतर है। इसके कारण कोविड के लिए निर्धारित अस्पतालों में भी गोल्डन कार्ड से इलाज नहीं हो पा रहा है। इस मामले में सरकार के स्तर से कदम उठाये जायेंगे।
– अमिताभ सिंह, कार्यपालक निदेशक, आयुष्मान भारत
यह सही है कि इम्पैनल्ड अस्पतालों में से कितने में गोल्डन कार्ड से कोविड मरीजों का इलाज हो रहा है, इसकी जांच नहीं हुई है। वास्तव में यह जनहित से जुड़ा मामला है और इसकी जांच कराई जाएगी। रिपोर्ट व कार्रवाई से सबको अवगत कराया जाएगा। इलाज न करने वाले अस्पतालों को पैनल से हटाने की अनुशंसा की जाएगी। साथ ही आपदा एक्ट के तहत कार्रवाई भी की जाएगी।
–डॉ. एस के चौधरी, सिविल सर्जन

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